हरीश कालाकोटी
बागेश्वर। नगर पालिका चुनाव की आहट, कड़कड़ाती ठंड को भी मात दे रही है,दलीय, निर्दलीय प्रत्याशी अपना पक्ष लेकर चुनावी अखाड़े में पहुंच गए हैं, इस बार भले ही उतरायणी दंगल न हो, लेकिन चुनावी दंगल होना तय है
आचार संहिता के चलते इस बार सरयू बगड़ से आरोप प्रत्यारोप का दौर न हो, लेकिन प्रत्याशी चुनावी सभाओं में ही मतदाताओं को रिझाने में कामयाब रहेंगे, लेकिन इस बार का पालिका चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले में पहुंच गया है, भाजपा को सुरेश खेतवाल पर भरोसा है, तो कांग्रेस को महिला नेत्री गीता रावल, निर्दलीय कवि जोशी,दिवान सिंह, भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं, स्थानीय लोगों के मुताबिक इस बार चुनाव अक्ष्यक्ष पद पर व्यक्तिगत छवि पर भी निर्भर रहेगा, लोग आपस में प्रत्याशीयों के चुनावी कुण्डली टटोलने में लगे हैं, फलां का व्यौहार,हर जगह उपस्थित, समस्या के लिए संघर्ष, महिलाओं की समस्या के लिए एकजुट, आदि आदि बातें कर रहे हैं,
बरहाल इस बार उतरायणी कौतिक पर बहस कम, चुनाव पर ज्यादा जोर है, शहर से आसपास के गांव तक के मतदाताओं में भारी जोश दिखाई दे रहा है, लेकिन कुछ खामोश मतदाताओं ने हलचल तेज कर दी है। अगर विभिन्न वार्डों में प्रत्याशीयों की विजय भी अध्यक्ष प्रत्याशी की जीत
को प्रभावित कर सकता है, बरहाल यह भविष्य ही तय करेगा, लेकिन चुनावी शोरगुल में शहर की समस्या हाशिए पर हैं, पार्किंग, स्थल, पेयजल,संकरी गली, आवारा जानवरों का आतंक, इत्यादि बुनियादी जरूरतों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है