बागेश्वर। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। लेकिन देश की सीमाओं की रक्षा में तैनात हमारे वीर जवान, इस पावन अवसर पर अपने घर नहीं लौट पाते। ऐसे में बागेश्वर के रेडक्रॉस स्वयंसेवियों ने एक अनूठी पहल की है। रेडक्रॉस सोसायटी बागेश्वर ने रक्षाबंधन के पावन अवसर से पूर्व देश की सीमाओं पर तैनात भारतीय सेना के जवानों के लिए एक विशेष राखी निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में जिले की 150 से अधिक स्थानीय महिलाओं और बहनों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और 500 से अधिक राखियों का निर्माण अपने हाथों से किया।
बागेश्वर में रक्षाबंधन से पहले चल रही इस विशेष कार्यशाला में रेडक्रॉस के स्वयंसेवक जुटे हैं राखियों के निर्माण में। ये राखियां किसी सामान्य भाई के लिए नहीं, बल्कि देश की रक्षा में तैनात हमारे वीर सैनिकों के लिए तैयार की जा रही हैं। कार्यक्रम संयोजक राजेश्वरी कार्की ने कहा कि यह सिर्फ एक राखी नहीं, भावनाओं की एक डोर है जो हमारे जवानों तक पहुंचेगी और उन्हें यह एहसास कराएगी कि वे अकेले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि, हम चाहते हैं कि हमारे जवान, जो सीमा पर हर पल देश की रक्षा कर रहे हैं, उन्हें भी ये महसूस हो कि देश के हर कोने से उन्हें प्यार और सम्मान मिल रहा है। ये राखियां हमारे दिलों की भावना हैं।
वीओ: करीब 500 राखियों को तैयार कर भारतीय सेना के जवानों को भेजा जाएगा, ताकि वे भी रक्षाबंधन के दिन इस प्रेम और विश्वास के धागे को अपनी कलाई पर बांध सकें।
वही रेडक्रास के चेयरमैन इंद्र सिंह फर्स्वाण ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि रेडक्रॉस का प्रयास है कि समाज के हर वर्ग को जोड़ते हुए सेवा, सहानुभूति और राष्ट्रप्रेम की भावना को मजबूत किया जाए। उन्होंने कहा कि, हमें गर्व है कि हम सैनिक भाइयों के लिए राखियां बना रहे हैं। ये सिर्फ धागा नहीं, हमारी भावनाएं हैं।
कार्यक्रम के अंतर्गत राखी निर्माण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें 100 से अधिक महिलाओं और किशोरियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने पारंपरिक, पारिस्थितिक और आधुनिक डिजाइन की राखियाँ बनाईं। रेडक्रास के सचिव आलोक पांडे ने बताया कि सभी तैयार राखियों को रक्षा बंधन से पहले सेना के विभिन्न बटालियनों में भेजा जाएगा, ताकि हर सैनिक को यह स्नेह-संदेश समय पर प्राप्त हो सके।
रेडक्रॉस की यह पहल न केवल बच्चों और युवाओं को सेवा और समर्पण का संदेश देती है, बल्कि सीमाओं पर तैनात सैनिकों को भी यह एहसास कराती है कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है। राखियों के ये रंग, भावनाओं की ये डोर, और सेवा की ये भावना—वाकई बागेश्वर की यह पहल देशप्रेम का सुंदर उदाहरण है।

