बागेश्वर। विश्व प्रसिद्ध पदयात्रा अस्कोट आराकोट अभियान यात्रा बागेश्वर पहुंची। नौ सदस्यों का एक दल सरमूल से पैदल यात्रा कर सरयू संगम स्थल पर पहुंचा। बागेश्वर पहुँचने पर दल का जोरदार स्वागत हुआ। यात्रा प्रत्येक दस वर्ष में एक बार की जाती है। यह छठी यात्रा है। इस वर्ष यात्रा के पचास वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में यात्रा की थीम नदी स्रोत से संगम तक रखी गई है। जिसके तहत दल सरयू नदी के उद्गम स्थल सरमूल से पैदल चलकर आज बागेश्वर पहुँचा है। यात्रा के दौरान दल झूनी, खलझूनी, खलपट्टा, पतियासार, मुनार, रिखाड़ी, सूपी, सौंग, सुमगढ़, असों, अनर्सा, हरसिला, देवलचौरा, आरे होते हुए बागेश्वर पहुंचा। इस दौरान दल ने इन गांवों की सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य आयामों का सर्वेक्षण किया। गाँवों को जानने और यहां के लोगों के कठिन जीवन को गहराई से समझने की कोशिश की। उधर, यात्रा का दूसरा दल आली बेदिनी बुग्याल की तरफ बढ़ा है। यात्रा हर दस साल में श्रीदेव सुमन के जन्मदिवस के मौके पर 25 मई को पिथौरागढ़ जिले के पांगू से शुरू होकर उत्तराखण्ड के सात जिलों के विभिन्न गाँवों से गुजर कर 8 जुलाई को हिमाचल सीमा पर स्थित उत्तरकाशी के आराकोट गाँव में समाप्त होती है।
पहले दल में हिमांशु पाठक रिस्की, संतोष जोशी, देवेंद्र कैंथोला, डां. मंजूषा, दीपानी, प्रकृति मुखर्जी, सपना जोशी, आकाश बिष्ट, गुंजिता पन्त आदि शामिल रहे।