बागेश्वर: सैनिक मिलन केंद्र, जगदंबा नगर में रविवार को एक भावुक क्षण देखने को मिला, जब ऑपरेशन पवन (श्रीलंका) में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिक लांस नायक दान सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम की शुरुआत उनकी वीरांगना पार्वती देवी और पुत्री तारा द्वारा पुष्प अर्पण से हुई। कर्नल रौतेला ने दान सिंह की वीरता का स्मरण करते हुए बताया कि जनपद बागेश्वर के सुदूर गाँव सुमगढ़ में जन्मे दान सिंह 1978 में कुमाऊँ रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। ट्रेनिंग पूर्ण करने के बाद उन्हें 9 कुमाऊँ में भेजा गया।
वर्ष 1988 में जब ऑपरेशन पवन के तहत भारतीय सेना को श्रीलंका भेजा गया, तब सबसे पहले 18 कुमाऊँ को मोर्चे पर तैनात किया गया। इसी दौरान 9 कुमाऊँ से चुनिंदा जवान भी भेजे गए, जिनमें लांस नायक दान सिंह शामिल थे। 10 अगस्त 1988 को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के अलगाववादियों से मुठभेड़ में उन्होंने अदम्य साहस दिखाते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया।
पार्वती देवी ने भावुक होकर बताया कि बलिदान की सूचना ठीक घी संक्रांति की शाम को मिली। उस समय बड़ी बेटी मात्र 5 वर्ष की और छोटी बेटी 22 दिन की थी। बलिदान से एक दिन पहले उनका पत्र आया था, जिसमें उन्होंने घर जल्द आने, बेटी का नामकरण करने और मकान की छत में लैंटर डालने की बात लिखी थी। “क्या अरमान थे और क्या हो गया,” कहते हुए उनकी आंखें भर आईं।
कार्यक्रम में पदमा नेगी, रामा भंडारी, तारा, उनकी बहन, कर्नल रौतेला, कैप्टन प्रमोद शर्मा सहित कई वीर नारियां और पूर्व सैनिक मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि लांस नायक दान सिंह का शौर्य और बलिदान हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।

