बागेश्वर। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिले के गांवों में खड़िया खनन से आई दरारों के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की है। गुरुवार को डीएम बागेश्वर, जिला खनन अधिकारी सहित अन्य अधिकारी व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट की खंडपीठ ने एसपी बागेश्वर को शुक्रवार तक खनन पर लगी सभी मशीनों को सीज कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। 6 जनवरी को कोर्ट की खंडपीठ ने खड़िया खनन पर रोक लगा दी। उसके बाद 7 जनवरी को 7 बजकर 46 मिनट पर खुदान व ट्रांसन्सपोर्टेशन वहां हुआ। जो कि उच्च न्यायलय के आदेश का उलंघन है। इसकी शिकायत ग्राम वासियों ने न्यायमित्र से साझा की है। बागेश्वर जिले के ग्रामीणों ने अपने प्रार्थनापत्र मे कहा था कि उनकी बात न तो डीएम सुन रहे हैं और न ही सीएम। कब से उन्हें विस्थापित करने की मांग की जा रही है। जिनके पास साधन थे। वह हल्द्वानी बस गए, लेकिन गरीब गाँव में ही रह गए। ग्रामीणों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि कई खड़िया खनन कारोबारियों ने हमारी धरती को चिर कर हल्द्वानी में बेच दिया। अब हमारा कोई नहीं इसलिए हम आखिरी उम्मीद में उच्च न्यायलय की शरण में आए है। वही मामले में सुनवाई करते हुए उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी ने बागेश्वर जिले के पुलिस अधीक्षक को खनन कार्य में लगीं सभी मशीनों को सीज कर रिपोर्ट न्यायालय में पेश करने के आदेश दिए हैं। इस मामले में जिलाधिकारी बागेश्वर, खान विभाग के अधिकारियों सहित अन्य अधिकारियों व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बागेश्वर जिला खान अधिकारी को सस्पेंड करने के निर्देश दिए हैं।
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- कुर्मांचल न्यूज़ डेस्क
- December 14, 2024
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