बागेश्वर। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) लगातार प्रयासरत है। सिलाई, ब्यूटीशियन, मोमबत्ती निर्माण, धूपबत्ती निर्माण जैसे व्यावसायिक प्रशिक्षणों के जरिए संस्थान जिले की महिलाओं को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर कर रहा है। वर्तमान में संस्थान के बागेश्वर केंद्र पर 26 महिलाएं सिलाई का प्रशिक्षण ले रही हैं।
सरकार भी महिलाओं को स्वरोजगार के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रही है। गांव-गांव प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि महिलाएं न केवल अपनी आय बढ़ा सकें बल्कि परिवार और समाज के आर्थिक विकास में भी योगदान दे सकें।
महिलाओं का बढ़ता आत्मविश्वास
प्रशिक्षण में शामिल महिलाएं सिलाई की बारीकियों से लेकर डिजाइनिंग तक की कला सीख रही हैं। उनका कहना है कि प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वे खुद का व्यवसाय शुरू करने को तैयार हैं।
संस्थान के निदेशक दिनेश चंद्र ने बताया कि “आरसेटी का उद्देश्य सिर्फ प्रशिक्षण देना नहीं है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ाना है। हम गांव-गांव जाकर भी प्रशिक्षण आयोजित करते हैं, ताकि ग्रामीण महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें।”
प्रशिक्षणार्थी किरन नगरकोटी ने बताया कि शुरुआत में उन्हें सुई में धागा डालने में भी परेशानी होती थी, लेकिन अब वे विभिन्न प्रकार के परिधान तैयार करने में सक्षम हो गई हैं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण पूरा होते ही वे अपना व्यवसाय शुरू करेंगी।
इसी तरह, पुष्पा देवी ने बताया कि वे लंबे समय से स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाना चाहती थीं, लेकिन मार्गदर्शन की कमी थी। ऑनलाइन माध्यम से प्रशिक्षण की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने इसमें भाग लिया और अब लगभग प्रशिक्षण पूरा कर चुकी हैं। उनका लक्ष्य खुद की दुकान खोलकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनना है।
प्रशिक्षण ले रही ज्योति ने कहा कि उन्होंने सामान्य कपड़ों से लेकर डिजाइनर परिधानों तक सिलाई की कला में महारत हासिल कर ली है और भविष्य में अपने कौशल को स्वरोजगार के जरिए और निखारेंगी।
वहीं, मास्टर ट्रेनर तारा ने बताया कि यह 31 दिवसीय प्रशिक्षण है। इसमें महिलाओं को न केवल सिलाई की तकनीकी जानकारी दी जा रही है, बल्कि डिजाइनर कपड़े बनाने की विशेष कला भी सिखाई जा रही है।
जिले की आर्थिक तस्वीर बदलने की तैयारी
बागेश्वर में चल रहे इन प्रशिक्षणों से साफ झलकता है कि ग्रामीण महिलाएं स्वरोजगार की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में ये महिलाएं जिले की आर्थिक तस्वीर बदलने में अहम भूमिका निभाएंगी।

