उत्तराखंड में मानसून काल चरम पर है। पहाडी इलाकों के साथ मैदानी भू भाग भी आपदा का दंश झेल रहे हैं। धराली,थराली, पौसारी और देहरादून सहित अनेक जगह बादल फटने की घटनाओं ने मानव जीवन को हिला कर रख दिया है,आपदा काल में हर रोज घटना,दुरघटना से उतराखंड की देवभूमि कराह रही है। इस बर्षा काल में सबसे ज्यादा नुकसान उतराखंड के पहाड़ी जनपदों को उठाना पड़ रहा है,मौसम विभाग की एक अपडेट पर विधालयों में पूरे दिन छुट्टी पर छुट्टी हो रही है। सवाल यह है कि क्या छुट्टी के विकल्प की तलाश कब कब तक की जायेगी,नैनीहालो के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ तो नहीं हो रहा है। लेकिन मौसम,शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को इस घिसे पीटे आदेश के साथ कोई ठोस कदम उठाने की जहमत तो करनी पड़ेगी,नहीं तो बच्चों का पाठ्यक्रम पूरी तरह सम्पन्न नहीं हो पायेगा,लेकिन अभिभावकों को अब इस बात का डर सताने लगा है कि कहीं ये छुट्टियां हमारे बच्चों का भविष्य बर्बाद न कर दे,
उत्तराखंड में सरकारी स्कूल की हालत पहले से ही बिगडी है,कही पर दो,या चार बच्चे पढ रहे हैं,इन्टर कालेजों में स्थित आपदा से भी बंतर है,इस प्रकार लगातार छुट्टी होने पर छात्र,छात्राओं के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ तो नहीं हो रहा है,इस पर अमल करना ही पड़ेगा,जिससे नैनीहालो का भविष्य बचा पाए,छुट्टी के आदेश के साथ उपाय भी ढुढना वक्त की जरूरत बन गयी है,जिससे दो राहो में खडी शिक्षा ब्यवस्था को बचाया जा सके।
हरीश कालाकोटी

