बागेश्वर में आयुष मेले का आयोजन हुआ, पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों से मिली स्वास्थ्य संजीवनी

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बागेश्वर। 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के तहत पूर्व निर्धारित गतिविधियों की श्रृंखला में सोमवार को ब्लॉक सभागार बागेश्वर में आयुर्वेद विभाग द्वारा एक वृहद आयुष मेले का आयोजन किया गया। मेले का शुभारंभ जिलाधिकारी आशीष भटगाई,दर्जा राज्यमंत्री शिव सिंह बिष्ट और नगरपालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल ने किया। मेले में जनसामान्य को आयुर्वेदिक पद्धति से स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने हेतु विभिन्न प्रकार की पारंपरिक चिकित्सा सेवाएं विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा प्रदान की गईं।

मेले में पंचकर्म चिकित्सा, स्त्री रोग, बाल रोग चिकित्सा, जलौका द्वारा रक्तमोक्षण, क्षार सूत्र चिकित्सा, मर्म चिकित्सा, योग परामर्श, रक्त परीक्षण, लाइफस्टाइल डिजीज कंट्रोल सहित गैर संचारी व संचारी रोगों की चिकित्सा सेवाएं दी गईं। इसके साथ ही जड़ी-बूटी प्रदर्शनी ने भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया, जिसमें स्थानीय एवं औषधीय महत्व की वनस्पतियों की जानकारी साझा की गई।

इस दौरान दर्जा राज्यमंत्री शिव सिंह बिष्ट ने बताया कि योग जीवन का महत्वपूर्ण आयाम है। हम सभी को योग को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। वही कार्यक्रम में जिलाधिकारी आशीष भटगाई ने बताया कि आज योग काफी महत्वपूर्ण है। तनाव पूर्ण जीवन से बचने के लिए योग काफी जरूरी है। योग करने से काफी बीमारियों से बचा जा सकता है। योग का देश ही नहीं विदेश में भी अपनाया जा रहा है। योग से शारीरिक विकास के साथ मानसिक विकास भी होता है।
जिला आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी डॉ. निष्ठा शर्मा कोहली ने बताया कि इस मेले का उद्देश्य लोगों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के प्रति जागरूक करना और उन्हें इससे होने वाले लाभों से परिचित कराना है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति आज के युग में लाइफस्टाइल बीमारियों से बचाव और नियंत्रण में बेहद कारगर है। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. एंजल पटेल ने बताया कि 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को लेकर 21 जून तक जिले में इसी प्रकार के जागरूकता व उपचार कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहेंगे। उन्होंने अधिक से अधिक लोगों से इन कार्यक्रमों में भाग लेने की अपील की ताकि वे स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ आयुर्वेद के प्रति रुचि भी विकसित कर सकें। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आमजन, वरिष्ठ नागरिक, महिलाएं और युवा वर्ग उपस्थित रहा। सभी ने निःशुल्क परामर्श और उपचार सेवाओं का लाभ उठाया तथा पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के प्रति गहरी रुचि दिखाई।

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